ghazal |
حال دل سب سے چھپانے میں مزہ آتا ہے
آپ پوچھیں تو بتانے میں مزہ آتا ہے
روشنی بوجھ سی لگتی ہے شب ہجراں میں
ہاں مگر دل کو جلانے میں مزہ آتا ہے
جس کے کچھ تار الجھ جاتے ہیں دل کی صورت
بس اسی ساز پہ گانے میں مزہ آتا ہے
جاں بچانے کا تصور بھی برا لگتا ہے
عشق میں جان گنوانے میں مزہ آتا ہے
یاد کر کر کے وہ گرمی کی بھری دوپہریں
پہلی بارش میں نہانے میں مزہ آتا ہے
نواز دیوبندی
आजकल दिल को छुपाने में मजा आता है
अगर आप पूछें तो बताने में मज़ा आता है
हिजड़ा की रात में रोशनी बोझ लगती है
हाँ अल है कि मुझे बहुत बकवास लगता है, मेरे लिए या तो बीटी की तरह लग रहा है
जिसके कुछ तार दिल के आकार में उलझ गए हैं
एक ही वाद्य पर गाना मजेदार है
जीवन बचाने का विचार भी बुरा लगता है
प्यार में अपनी जान गंवाने का मज़ा ही कुछ और है
उन गर्म दोपहरों को याद करते हुए
पहली बारिश में नहाना मजेदार है
नवाज देवबंदी
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